Haryana News: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधू, भिवानी के तोशाम से विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी ने कांग्रेस छोड़ दी है। दोनों अब भाजपा में हैं।
दोनों अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसके साथ ही, हरियाणा की राजनीति में तीन लालों का इतिहास अब भाजपा के झंडे के नीचे आ गया है। हरियाणा को बनाने के बाद लंबे समय तक राज करने वाले तीन लालों—देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल—की राजनीति थी। इन परिवारों के लाल अब विरासत को छोड़कर अपना राजनीतिक भविष्य तराशने के लिए नए स्थानों की तलाश कर रहे हैं।
Haryana News: हरियाणा के तीन लालों के वारिस, किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी, अब भाजपा में शामिल हैं। देवीलाल के पुत्र रंजीत सिंह चौटाला और भजन लाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई पहले से ही भाजपा में शामिल हो चुके थे। यही नहीं, चौधरी देवीलाल के पोते अजय सिंह चौटाला और परपोते दुष्यंत चौटाला भी भाजपा को अपनी पार्टी जन नायक जनता पार्टी से समर्थन देकर साढ़े चार साल तक हरियाणा की सत्ता में रहे। ये गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले समाप्त हो गया। लंबे समय से कांग्रेस में हाशिये पर रहे किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी अब भाजपा के झंडे के नीचे आ गए हैं।
कुलदीप बिश्नोई भजनलाल के परिवार से हैं
पहले हरियाणा राजनीति के एचडी भजनलाल के परिवार के लाल कुलदीप बिश्नोई और पोते भव्य बिश्नोई की चर्चा करेंगे। कुलदीप बिश्नोई पिता भजन लाल की मृत्यु के बाद कांग्रेस में अपनी राजनीतिक पारी को आगे बढ़ा रहे थे। कुलदीप बिश्नोई ने दो बार सांसद और चार बार विधायक का पद हासिल किया है। उनकी पत्नी रेणुका विश्नोई भी दो बार विधायक रहे हैं। कांग्रेस से बाहर निकलने पर कुलदीप ने हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया। लेकिन गठन से पहले ही विधानसभा चुनाव में हार गई। कुलदीप बिश्नोई को भजन लाल परिवार और अपना वजूद बचाने की चुनौती भी मिली। 2022 में, जब कोई समाधान नहीं था, दोनों पति-पत्नी भाजपा में शामिल हो गए।]
भाजपा ने देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को संजीवनी दी
रणजीत सिंह चौटाला, चौधरी देवीलाल के पुत्र, हमेशा हाशिये पर रहे। वे ओम प्रकाश चौटाला परिवार से दूर रहे। भाजपा का समर्थन करते हुए सिरसा से विधायक बने। मनोहर लाल सरकार में वे बिजली मंत्री बने। रणजीत सिंह को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का विधिवत सदस्य बनाकर हिसार से चुनाव लड़ाया गया। यह अलग बात है कि वह चुनाव हार गए, लेकिन भाजपा में शामिल होकर उन्होंने अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित कर लिया। चौटाला परिवार टूट गया जब देवीलाल के दूसरे बेटे ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अजय सिंह चौटाला की अनबन अपने भाई अभय सिंह चौटाला से हुई।
कैसे ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में भी लगी सेंध
उस समय ओम प्रकाश चौटाला और अजय सिंह चौटाला जेबीटी भर्ती घोटाले में सजा काट रहे थे। जय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने जन नायक जनता पार्टी बनाई, जो पहले ही विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतीं। 2019 के विधानसभा चुनाव में मनोहर लाल खट्टर सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, इसलिए दुष्यंत चौटाला विजेता बन गया। उनके समर्थन से बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया। दुष्यंत चौटाला साढ़े चार साल तक गठबंधन की सरकार में डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहे।
किरण और श्रुति चौधरी के लिए भाजपा ही अंतिम विकल्प है।
हरियाणा की राजनीति में तीसरे बड़े लाल बंसीलाल, जिन्हें विकास पुरुष भी कहा जाता है, अब उनकी पुत्रवधू किरण चौधरी और पोती श्रुति चौधरी वजूद बचाने के लिए भाजपा में शामिल हैं। किरण चौधरी ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से हमेशा 36 का आंकड़ा रखा था। अपने इस्तीफे की वजह भी किरण चौधरी ने हुड्डा को ही बताया है। अब देखना होगा कि किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी कब तक अपने प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार को जीवित रख सकते हैं।