NEP 2020 के विजन को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, भारत में कैम्‍पस स्थापित करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन, यूके को आशय पत्र जारी किया गया

NEP 2020 के विजन को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, भारत में कैम्‍पस स्थापित करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन, यूके को आशय पत्र जारी किया गया

श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान :भारत ‘विश्व-बंधु’ के रूप में अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों को पूरा करने और शिक्षा, नवाचार एवं प्रगति के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध

 

आज नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन (यूओएस), यूके को आशय पत्र जारी किया गया, जिसका शीर्षक था एनईपी 2020 के तहत शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण: भारत में विदेशी विश्वविद्यालय की स्थापना।

इस अवसर केन्‍द्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भी उपस्थित रहे, साथ ही अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया, जिनमें शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री संजय मूर्ति, विदेश मंत्रालय के विदेश सचिव श्री विक्रम मिस्री, भारत में ब्रिटेन की उप उच्चायुक्त सुश्री क्रिस्टीना स्कॉट, साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री एंड्रयू एथरटन, यूजीसी के अध्यक्ष श्री एम. जगदीश कुमार, राष्ट्रों के सम्मानित राजदूत, निजी और राज्य विश्वविद्यालयों के प्रख्यात शिक्षाविद, उद्योग के अधिकारी और अन्य विशिष्ट अतिथि शामिल थे।

डॉ. एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय को आशय पत्र सौंपे जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो एनईपी 2020 के तहत भारत में एक परिसर स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि यह हमारे शैक्षिक मानकों को उच्चतम वैश्विक स्तर तक बढ़ाने और भारत-ब्रिटेन के सहयोग के शिक्षा स्तंभ को पूरा करने के दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस तरह के प्रयास हमारे युवाओं को काम करने के लिए तैयार करेंगे और वैश्विक समझ एवं सहयोग की भावना को बढ़ावा देंगे।

मंत्री ने इस पहल पर प्रकाश डाला कि इससे शैक्षिक क्षेत्र में ब्रांड इंडिया की मजबूत अंतःक्रियात्मक छाप स्थापित करने में मदद मिलेगी। मंत्री महोदय ने कहा कि यह एक बढ़ती हुई वास्तविकता है क्योंकि नई प्रौद्योगिकियों और सेवा मांगों को जनसांख्यिकीय घाटे के साथ सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।

डॉ. जयशंकर ने कुछ प्रमुख पहलों का भी उल्लेख किया जो भारत-ब्रिटेन के रोडमैप 2030 का हिस्सा हैं और कहा कि शिक्षा में सहयोग इसका एक प्रमुख हिस्सा रहा है। उन्होंने दोनों देशों के बीच शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता पर समझौता ज्ञापन और नेतृत्व द्वारा संयुक्त रूप से घोषित युवा पेशेवर योजना (वाईपीएस) का उल्लेख किया जो दोनों देशों के युवा स्नातकों को एक-दूसरे के संस्थानों, ब्रिटेन-भारत शिक्षा और अनुसंधान पहल (यूकेआईईआरआई) जैसे कार्यक्रमों और अकादमिक एवं अनुसंधान सहयोग (एसपीएआरसी) को बढ़ावा देने की योजना से सीखने और लाभ उठाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।

 

केन्‍द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने एक्स प्लेटफॉर्म पर अपने संदेश में कहा कि यह पहल एनईपी 2020 में परिकल्पित ‘घर पर अंतर्राष्ट्रीयकरण’ के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक कदम आगे है। उन्होंने कहा कि भारत ‘विश्व-बंधु’ के रूप में अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों को पूरा करने और शिक्षा, नवाचार एवं प्रगति के लिए उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि अधिकाधिक संख्या में विश्व स्तर के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान, शीर्ष भारतीय संस्थानों के साथ बहुआयामी सहयोग के लिए गहरी रुचि दिखा रहे हैं, साथ ही भविष्य में वैश्विक शिक्षा और प्रतिभा केन्‍द्र के रूप में भारत की क्षमता का दोहन करने में भी रुचि दिखा रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों और विदेशों में भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के परिसरों की स्थापना का उद्देश्य केवल शैक्षिक अवसरों का विस्तार करना नहीं है, बल्कि यह अनुसंधान, ज्ञान के आदान-प्रदान और वैश्विक सहयोग का एक जीवंत इकोसिस्‍टम बनाना है। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों के शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे वैश्विक लोकाचार वाले “वैश्विक नागरिक” तैयार करें जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रदान कर सकें।

केन्‍द्रीय शिक्षा मंत्री ने भारत में अपना परिसर खोलकर भारत-ब्रिटेन संबंधों को और मजबूत करने के लिए साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के प्रबंधन की हार्दिक प्रशंसा की। उन्होंने दुनिया के अन्य शीर्ष संस्थानों को भी भारत आने का आमंत्रण दिया।

श्री के. संजय मूर्ति ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शुभारंभ के बाद शिक्षा मंत्रालय अब यूजीसी और एआईसीटीई जैसी नियामक संस्थाओं के साथ मिलकर विभिन्न सुधार पहलों को शुरू कर रहा है, जिसका उद्देश्य समावेशी और न्यायसंगत, वैश्विक गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसर सुनिश्चित करना है। श्री मूर्ति ने कहा कि इसका उद्देश्य हमारे युवाओं में भविष्य के लिए तैयार क्षमताओं का निर्माण करना है।

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान के नेतृत्व में की गई कुछ महत्वपूर्ण पहलों में भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच संयुक्त/दोहरी और सहयोगी व्यवस्था को सक्षम करने वाले यूजीसी नियम शामिल हैं; स्टडी इन इंडिया पोर्टल के माध्यम से भारतीय संस्थानों में विदेशी छात्रों के प्रवेश को सुव्यवस्थित किया जाता है, जो छात्रों के प्रवेश के लिए वन स्टॉप विंडो है और प्रवेश प्रक्रिया के साथ वीज़ा जारी करने की प्रक्रिया को जोड़ता है।

प्रोफेसर एंड्रयू एथरटन ने कहा कि यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन दिल्ली भारत में पहला व्यापक अंतर्राष्ट्रीय कैम्‍पस होगा। उन्होंने कहा कि यह विश्वस्तरीय, कार्य-तैयार स्नातकों को विशेषज्ञ और हस्तांतरणीय कौशल के साथ तैयार करेगा जो भारत की तेजी से बढ़ती ज्ञान अर्थव्यवस्था को बढ़ाएगा।

भारत में यूओएस कैम्‍पस का निर्माण छात्रों के लिए, भारत में वैश्विक पाठ्यक्रम और अध्ययन के अवसरों के विस्तार एवं अनुसंधान, ज्ञान के आदान-प्रदान, उद्यम और जुड़ाव के संदर्भ में फायदेमंद होगा। व्यवसाय और प्रबंधन, कंप्यूटिंग, कानून, इंजीनियरिंग, कला और डिजाइन, जैव विज्ञान एवं जीवन विज्ञान पर पाठ्यक्रम प्रस्‍तुत किए जाएंगे। विश्वविद्यालय ने 10 साल की अनुमानित पाठ्यक्रम रोलआउट योजना प्रस्तुत की है। पहले तीन वर्षों में वे निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित करेंगे:

• प्रथम वर्ष: बीएससी कंप्यूटर साइंस, बीएससी बिजनेस मैनेजमेंट, बीएससी अकाउंटिंग और फाइनेंस, बीएससी इकोनॉमिक्स और एमएससी इंटरनेशनल मैनेजमेंट, एमएससी फाइनेंस।

• दूसरे वर्ष में बीएससी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, बीएससी क्रिएटिव कंप्यूटिंग, एमएससी अर्थशास्त्र शामिल हैं।

• तीसरे वर्ष में एलएलबी लॉ और फिर बी. इंजी. (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) शामिल किया जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में उच्चतम वैश्विक मानकों को प्राप्त करने पर ज़ोर देती है। यह “घर पर अंतर्राष्ट्रीयकरण” की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है और भारत को एक वैश्विक अध्ययन गंतव्य-देश के रूप में बढ़ावा देती है, जो कि सस्ती कीमत पर प्रीमियम शिक्षा प्रदान करती है। भारत में साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के शाखा परिसर की स्थापना एक शीर्ष वैश्विक अध्ययन गंतव्य के रूप में भारत की अपील को बढ़ाएगी और भारत-यूके संबंधों को मजबूत करेगी, जिससे भविष्य के शैक्षिक सहयोग का मार्ग प्रशस्त होगा।

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