CM Yogi ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक अनलिमिटेड पोटेंशियल वाला राज्य है। यह तेजी से भारत के ग्रोथ इंजन के रूप में उभरा है। प्रदेश की सम्भावनाओं एवं कृषि उत्पादकता के क्षेत्र में राज्य के संसाधनों के बेहतर उपयोग की दृष्टि से उत्तर प्रदेश सरकार, विश्व बैंक तथा बिल एण्ड मेलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन (बी0एम0जी0एफ0) के कार्य एक टीम वर्क के रूप में ‘उत्तर प्रदेश पार्टनरशिप्स कॉन्क्लेव’ में देखने को मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी आज यहां बिल एण्ड मेलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन तथा विश्व बैंक समूह के 2030 वॉटर रिसोर्सेज ग्रुप द्वारा आयोजित ‘उत्तर प्रदेश पार्टनरशिप्स कॉन्क्लेव’ के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने बी0एम0जी0एफ0 के ‘नव कृषि नेटवर्क’ तथा ‘कार्बन किसान कनेक्ट’ कार्यक्रमों का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री जी ने डायरेक्ट सीडेड राइस (डी0एस0आर0) पद्धति को अपनाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त करने वाले प्रदेश के 05 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री जी के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार व केन्या गणराज्य के मध्य कृषि के विकास से सम्बन्धित एक एम0ओ0यू0 का हस्तान्तरण किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश की सबसे अच्छी उर्वरा भूमि तथा जल संसाधन मौजूद हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अक्सर इस बात पर देश का ध्यान आकर्षित किया है। इसके दृष्टिगत जब सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तथा निजी क्षेत्र साथ मिलकर कार्य करेंगे तो इसके परिणाम कई गुना बढ़ सकते हैं। यह बीज से लेकर बाजार तक की सभी सम्भावनाओं को एक सूत्र में पिरोकर कृषि की
उत्पादकता तथा किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने में मदद कर सकता है। जिन क्षेत्रों में भी हमने टीम वर्क से काम किया है, वहां ऐसे परिणाम मिले हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश की 17 प्रतिशत आबादी निवास करती है। भारत की कुल कृषि योग्य भूमि का मात्र 11 प्रतिशत राज्य में है। इसी भूमि से उत्तर प्रदेश देश का 20 से 22 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन करता है। प्रदेश ने स्वयं को खाद्यान्न सरप्लस स्टेट के रूप में स्थापित किया है। विगत 05 से 07 वर्षाें में प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने इस दिशा में सार्थक प्रयास किए हैं। इनके अच्छे परिणाम भी सामने आये हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि खेती में तकनीक का प्रयोग आज की आवश्यकता है। यह व्यापक सम्भावनाओं का क्षेत्र है। अच्छी क्वालिटी के बीज उपलब्ध कराने, कम पानी से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए शोध को बढ़ावा देने, केमिकल व फर्टिलाइजर से मुक्त ऑर्गेनिक खेती को प्राकृतिक खेती के रूप में प्रोत्साहित करने, मण्डियों के माध्यम से किसानों को उपज का अच्छा दाम दिलाने तथा किसानों को एम0एस0पी0 प्राप्त हो सके आदि अलग-अलग क्षेत्रों में तकनीक का प्रयोग देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 03 करोड़ किसान खेती, बागवानी, पशुपालन तथा फिशरी से जुड़े हुए हैं। इन सभी को तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाने के लिए प्रदेश में 89 कृषि विज्ञान केन्द्र सक्रिय हैं। वर्तमान में 10 नये कृषि विज्ञान केन्द्रों पर कार्य चल रहा है। राज्य में केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा 06 कृषि विश्वविद्यालय संचालित हैं। 01 नये कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रक्रिया प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ी है। बहुत से क्षेत्रों में हमने सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित किए हैं। प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में एफ0पी0ओ0 कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने लखपति दीदी का अभियान आगे बढ़ाया है। लखपति दीदी ने टेक्नोलॉजी का बेहतर प्रयोग करके ड्रोन दीदी के रूप में किसानों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराकर महिला स्वावलम्बन का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि प्रदेश के किसानों को तकनीक की दृष्टि से सक्षम बना दें, तो वह अभी जितना उत्पादन कर रहे हैं, उससे लगभग 03 से 04 गुना अतिरिक्त उत्पादन कर सकते हैं। उनकी क्षमता कई गुना बढ़ सकती है। उनकी आमदनी को भी कई गुना बढ़ाया जा सकता है। इन्हीं सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए हम इस पार्टनरशिप्स कॉन्क्लेव में एकत्र हुए हैं। उत्तर प्रदेश का एक बड़ा भू-भाग
सिंचित है। पहले बुन्देलखण्ड के बारे में कहा जाता था कि वह सूखाग्रस्त क्षेत्र है। लेकिन आज बुन्देलखण्ड में अधिकतर क्षेत्र सिंचाई से सम्पन्न हो चुके हैं। केन-बेतवा नदी लिंक होने के बाद पूरा बुन्देलखण्ड सिंचाई की दृष्टि से समृद्ध हो जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाणसागर परियोजना के पूरा होने के बाद विंध्य क्षेत्र की सम्भावनाएं बढ़ चुकी हैं। विगत 07 वर्षाें में उत्तर प्रदेश में लगभग 23 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। यह कार्य वर्षाें से लम्बित परियोजनाओं को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना तथा उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से एक समयबद्ध तरीके से पूरा करके किया गया है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी। महोबा बुन्देलखण्ड का एक छोटा सा जनपद है। अर्जुन सहायक परियोजना के पूर्ण होने से पहले वहां प्रति एकड़ किसानों की आमदनी 05 हजार रुपये थी। वर्ष 2021 में अर्जुन सहायक परियोजना का लोकार्पण प्रधानमंत्री जी ने किया। इसके बाद उसी महोबा में किसानों की आमदनी प्रति एकड़ 50 हजार रुपये हो रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सिंचाई के लिए जितने पानी की आवश्यकता है, उतनी ही खपत होनी चाहिए, इसके लिए सिंचाई को हम ड्रिप इरिगेशन से जोड़ दें। कॉन्क्लेव में यह सुझाव सामने आया है कि जिन किसानों को प्रदेश सरकार सोलर पैनल दे रही है उनके लिए ड्रिप इरिगेशन अनिवार्य किया जाए। यह एक अच्छा सुझाव है। समय आ गया है कि हम अपनी नदियों की अविरलता तथा निर्मलता की दिशा में पहल प्रारम्भ करें। विगत 07 वर्षाें में हमने उत्तर प्रदेश में लगभग 70 नदियों को पुनर्जीवित किया है। नदियों की अविरलता तथा निर्मलता को बनाये रखने के लिए विशेष जन अभियान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग का सर्वाधिक दुष्प्रभाव किसानों पर पड़ेगा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में धान की फसल की कटाई हो गयी है, जबकि पूर्वी व मध्य क्षेत्र में यह लगभग 01 माह विलम्ब हो चुकी है। ग्लोबल वॉर्मिंग के ऐसे परिणाम हमें अभी से देखने को मिल रहे हैं। हमें बरसात के अतिरिक्त जल को रिजर्वायर के माध्यम से सुरक्षित करते हुए सिंचाई के लिए उपयोग करने की तकनीक खोजनी होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि के साथ ही औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में भी बेहतर टेक्नोलॉजी के प्रयोग से कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम करने के लिए एक नई पहल को आगे बढ़ाना आज की आवश्यकता है। जब ग्लोबल वॉर्मिंग से बचने के लिए हर स्तर पर प्रयास होंगे, तब हम न केवल कृषि क्षेत्र को सुरक्षित रख पाएंगे, बल्कि धरती माता को भी गैस चैम्बर बनने से बचाने में सफल होंगे। यह मनुष्य के साथ ही जीव सृष्टि के लिए अत्यन्त आवश्यक है। इसकी पहल खेती-किसानी से प्रारम्भ होनी चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि निजी क्षेत्र तकनीक के प्रति बहुत आग्रही होता है। यदि निजी क्षेत्र थोड़ी सी पहल करे और कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से अपने अच्छे कार्याें का किसानों के मध्य प्रदर्शन करे, तो किसान इन्हें अपनाने को तत्पर होंगे। वर्तमान में हम प्रदेश के 02 करोड़ 86 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ दे रहे हैं। बहुत से किसान इसकी श्रेणी में नहीं आते हैं। देखते ही देखते प्रदेश के लगभग 03 करोड़ किसान इस पहल का हिस्सा बन जाएंगे। उत्तर प्रदेश खाद्यान्न बास्केट के रूप में जाना जाता है। यह खाद्यान्न का बड़ा वेयरहाउस बन सकता है। इस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है। विगत 07 वर्षाें में इस क्षेत्र में जो भी प्रयास हुए हैं, उसके परिणाम संतोषजनक हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश को आजादी के शताब्दी वर्ष के लिए लक्ष्य दिये हैं। यदि हम आगामी 25 वर्षाें के लक्ष्य के साथ काम करेंगे, तो वह बेहतर परिणाम लाएंगे। मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि ‘उत्तर प्रदेश पार्टनरशिप्स कॉन्क्लेव’ के माध्यम से एक ठोस रोडमैप तैयार किया जाएगा, जो उत्तर प्रदेश व देश की दृष्टि से उपयोगी होगा। इससे हम कृषि की उत्पादकता बढ़ाने, लागत कम करने तथा देश की खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति के लिए अन्नदाता किसानों को सक्षम बनाने में सफल हो पाएंगे। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री
अनिल राजभर, उद्यान एवं कृषि विपणन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिनेश प्रताप सिंह, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती मोनिका एस0 गर्ग तथा बिल एण्ड मेलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन के डायरेक्टर एग्रीकल्चर डेवलपमेन्ट श्री मार्टिन वैन न्यूकूप तथा ग्लोबल डायरेक्टर वॉटर ग्लोबल पै्रक्टिस विश्व बैंक श्री सरोज कुमार झा सहित अन्य पदाधिकारी एवं कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्यमी व किसान उपस्थित थे। कॉन्क्लेव से पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने विश्व बैंक, बी0एम0जी0एफ0 तथा कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों के साथ संवाद किया। टीम वर्क से किस प्रकार सफलता प्राप्त की जासकती है, इसका उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस बीमारी से 38 जनपद प्रभावित थे। प्रतिवर्ष 1500 से 2000 बच्चों की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती थी। वर्ष 2017 में हमारी सरकार बनने पर इस बीमारी को समाप्त करने के लिए शासन स्तर पर एक टीम बनाई गयी। इसके साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन, बी0एम0जी0एफ0, यूनिसेफ और अन्य संस्थाओं को जोड़ा गया। आज यह
बीमारी प्रदेश से पूरी तरह समाप्त हो गई है। अब प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से कोई मृत्यु नहीं होती है। यह प्रदेश की सफलता की एक कहानी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हमारे पास बहुत अच्छी सम्भावनाएं हैं। केन्द्र और राज्य सरकार के स्तर पर प्रदेश के किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। जब प्रदेश सरकार, बिल एण्ड मेलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन, कृषि से जुड़े स्टार्टअप्स मिलकर कार्य करेंगे, तो अच्छे परिणाम सामने आएंगे। विगत 05 से 07 वर्षों में प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में जो सफलता प्राप्त की है, वह संतोषजनक है। यदि थोड़ा और प्रयास किया जाए, तो इसमें 03 से 04 गुना वृद्धि की जा सकती है। हमारे किसानों को तकनीकी से जोड़ने, उन्हें समय पर बीज उपलब्ध कराने तथा बीज की गुणवत्ता की जांच की व्यवस्था जैसे कार्य आगे बढ़ेंगे, तो इसका लाभ भी मिलेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में लगभग 01 लाख किसानों को सोलर पैनल उपलब्ध कराए गए हैं। बहुत से किसानों ने स्वयं के स्तर से भी इन्हें लगाया है। उत्तर प्रदेश देश के उन राज्यों में से एक है, जो अपने किसानों को सिंचाई के लिए सर्वाधिक बिजली उपलब्ध कराते हैं। इस क्षेत्र में हमारे लिए अनेक सम्भावनाएं हैं। किसान तकनीक को अपना सकें, इसके लिए जागरूकता के कार्यक्रम चलने चाहिए। उनके
सामने तकनीक का प्रदर्शन किया जाना चाहिए। कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रदेश में कई कार्य किये गये हैं। राज्य में माइक्रो इरिगेशन के दायरे को बढ़ाया गया है। प्रदेश में लगभग 01 लाख हेक्टेयर भूमि पर किसान नेचुरल फार्मिंग से जुड़े हैं। यह केमिकल मुक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराती हैं। इससे सिंचाई की आवश्यकता को भी कम करने में मदद मिली है। मिलेट्स की खेती कम से कम पानी में अच्छा उत्पादन देती है। वर्ष 2023 को अन्तरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया गया था। प्रदेश मंे श्री अन्न (मिलेट्स) की खेती के दायरे में भी वृद्धि हुई है। किसान इसमें रुचि ले रहे हैं। इसमें खर्च भी कम है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी खेती की उत्पादकता को बढ़ाने तथा किसानों की लागत को कम करने पर बल देते हैं। नेचुरल फार्मिंग के माध्यम से एक एकड़ खेती में किसानों की लागत 12,000 से 15,000 रुपये कम होती है। इससे उत्पादन में भी कमी नहीं आती है। इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम पड़ती है। प्राकृतिक खेती केमिकल फर्टिलाइजर तथा पेस्टिसाइड्स से मुक्त कृषि है। इसके बहुत
अच्छे परिणाम सामने आए हैं। वृहद स्तर पर नेचुरल फार्मिंग करने के लिए किसानों को तैयार करना होगा। प्रदेश सरकार के स्तर पर इसके लिए प्रशिक्षण के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके माध्यम से लोगों को ऑर्गेनिक उत्पाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण पहल है।
source: https://information.up.gov.in/hi