Shani Sade Sati: शनिवार शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनि की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। शनि इस समय मकर, कुंभ, मीन राशि पर साढ़ेसाती और कर्क, वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है।
Shani Sade Sati: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगने पर व्यक्ति का जीवन खराब होता है। शनिदेव के बुरे प्रभावों से सब डरते हैं। शनि अशुभ होने पर कई समस्याएं आती हैं। शनिवार के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए हर शनिवार को दशरथ कृत शनिस्तोत्र का पाठ जरूर करें। शनिवार को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा पाने के लिए दशरथ कृत शनिस्तोत्र का पाठ अवश्य करें। राजा दशरथ, भगवान श्री राम के पिता, ने शनिस्तोत्र लिखा था। दशरथ कृत शनिस्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव की कृपा मिलती है। दशरथ का शनिस्तोत्र आगे पढ़ें..।
राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
31 दिसंबर 2024 तक इन 4 राशियों की रहेगी मौज, शनिदेव करेंगे कृपा की बरसात
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।