Kanyā Pujan अष्टमी और नवमी तिथि के दिन नवरात्रि के दौरान किया जाता है। इसके अलावा, इस बार अष्टमी-नवमी तिथि को लेकर लोगों में अस्पष्टता है,
- जिससे कन्या पूजा की सही तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर भी लोग अनिश्चित हैं। 10 अक्टूबर या 11 अक्टूबर को कन्या पूजन करना शुभ होगा?
Kanyā Pujan : सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो गया है। नवरात्रि का उत्सव नौ दिनों तक चलता है, जिसमें माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में पूजा-पाठ करना और व्रत रखना दोनों शुभ माना जाता है। कन्या पूजन नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि के दिन किया जाता है। अष्टमी तिथि के दिन माता दुर्गा की पूजा के बाद कुछ लोग कन्या पूजन करते हैं, तो कुछ लोग नवमी तिथि के दिन करते हैं। देश के कई राज्यों में कन्या पूजन को कंजक, कन्या पूजन या कुमारिका पूजन भी कहते हैं। हम देखते हैं कि इस वर्ष कन्या पूजन किस दिन करना शुभ होगा।
कन्या पूजन की भूमिका
घर में कन्या पूजन के लिए पूरी, छोले, चना और हलवा बनाए जाते हैं। 2 से 8 साल की 7 या 11 कन्याओं और एक लड़के को घर भेजा जाता है। कन्या पूजा जाती है। उन्हें सम्मानपूर्वक भोजन कराया जाता है। अंत में हर कन्या को धन और उपहार देकर विदा किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्याएं माता दुर्गा का प्रतिरूप हैं। इसलिए नवरात्रि के अंतिम दिन माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। इससे माता का विशेष आशीर्वाद मिलता है, जो घर-परिवार को खुशियों से भर देता है।
कन्या पूजन की तिथि क्या है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि इस बार 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:31 मिनट से शुरू होगी और 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। 11 अक्टूबर 2024 को अष्टमी तिथि के समापन के साथ नवमी तिथि भी शुरू होगी। नवमी तिथि 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजे 57 मिनट पर समाप्त होगी।
ऐसे में इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर को ही रखा जाएगा, जिस दिन कन्या पूजन करना भी शुभ होगा, उदयातिथि के आधार पर। 11 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:41 से पहले कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त होगा. इसके बाद राहुकाल दोपहर 12:08 तक रहेगा।
कन्या पूजा के दिन सुबह जल्दी उठें।
स्नान आदि करने के बाद शुद्ध कपड़े पहनें।
माता दुर्गा की पूजा करने के बाद व्रत रखें और कन्या पूजन करें।
घर में कन्या पूजा करने के लिए अपने हाथों से चना, पूरी, हलवा और छोले बनाएं।
इसे सबसे पहले माता रानी को खिलाओ।
घर आने पर कन्याओं के पैर साफ पानी से धोएं।
कन्याओं को टीका लगाकर रक्षा सूत्र बाधें।
कन्याओं को भोजन दें।
सभी कन्याओं को अपनी क्षमता अनुसार पैसे या गिफ्ट जरूर दें।
अंत में, कन्याओं के चरणों को छूकर विदा करें।
विवरण: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और सिर्फ जानकारी के लिए है।