SBI: अलग-अलग टेन्योरों के लिए एसबीआई ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) दर में 10 बेसिस प्वाइंट (0.1%) की बढ़ोतरी की है।
ये खबर आपके लिए है अगर आप देश का सबसे बड़ा बैंक, एसबीआई, के ग्राहक हैं। वास्तव में, एसबीआई ने विभिन्न टेन्योरों के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) दर में 10 बेसिस प्वाइंट (0.1%) की बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी के बाद MCLR बेस्ड लोन लेना महंगा हो जाएगा, जिससे पहले की तुलना में EMI भी अधिक देनी होगी।
कितनी वृद्धि हुई?
इस बदलाव से एक वर्ष का MCLR 8.65% से 8.75% हो गया है। साथ ही, एक महीने और तीन महीने का MCLR 8.20% से 8.30% हो गया है। वर्तमान छह महीने की MCLR 8.55% से 8.65% हो गई है। दो साल की MCLR भी 8.75% से 8.85% कर दी गई है। तीन साल की MCLR भी 8.85% से अब 8.95% हो गई है। बता दें कि घर और ऑटो लोन सहित अधिकांश खुदरा ऋणों में एक साल की MCLR दर से जुड़े होते हैं।
बता दें कि MCLR में बढ़ोतरी का एक्स्टर्नल बेंचमार्क से बंधे ऋण वाले लेंडर्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जैसे आरबीआई के रेपो रेट या ट्रेजरी बिल यील्ड। भारतीय रिजर्व बैंक (SBI) सहित सभी बैंकों को अक्टूबर 2019 से मौद्रिक नीति संचरण में सुधार के लिए इन केंद्रीय मानकों से नए ऋणों को जोड़ना होगा।
एसबीआई ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसने कारोबार बढ़ाने के लिए बॉन्ड के जरिये 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 830 करोड़ रुपये) जुटाए हैं। एसबीआई ने शेयर बाजार को बताया कि यह राशि वरिष्ठ अस्थिर दर वाले असुरक्षित ऋणपत्रों से मिली है। इसकी अवधि तीन साल है। एसबीआई ने कहा कि ये बॉन्ड लंदन शाखा द्वारा 20 जून, 2024 तक जारी किए जाएंगे।