Samosa History: आपको पता है कि आप मजे से खाते हैं वह समोसा भारत में नहीं बनाया गया था। बल्कि बाहर से इसे भारत लाया गया था, जहां इसे अलग तरह से बनाया गया था। समोसे का रोमांचक इतिहास जानें
Samosa History: जब बर्थडे पार्टी में नाश्ते की प्लेट में कुछ अनोखा होता है।चाय के साथ सुबह या शाम इसे खाने का मजा कुछ चोखा होता है।जब घर पर विशिष्ट मेहमान आते हैं…। प्लेट में कुछ और नहीं, सबसे अच्छा तिकोना समोसा होता है..।हाँ, दोस्तों, आज हम समोस की खासियत पर चर्चा करेंगे। क्या आप जानते हैं कि ये समोसा भारतीय नहीं है? हम सभी इसे प्यार से खाते हैं, चाहे छोटे हों या बड़े।ये सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। आइए समोसे का इतिहास जानते हैं।
हमारे सभी के पसंदीदा समोसे को भारत पहुंचने के लिए एक मीलो लंबी यात्रा करनी पड़ी। दरअसल, समोसा यहां प्राचीन ईरान से आया है। और फिर इसे फारसी शब्द संबूसाग से समोसा नाम दिया गया। 11वीं सदी के ईरानी इतिहासकार अबुल फजल बैहाकी ने तारीख ए बैहाकी में समोसे का पहला जिक्र किया था। उन्होंने गजनबी साम्राज्य में शाही दरबार में खाई गई नमकीन चीज का जिक्र किया, जिसमें कीमा और मेवे थे। इसके अनुसार, ये लगभग दसवीं शताब्दी में मध्य ईस्ट एशिया में बनाया गया था
आपको जानकर हैरानी होगी कि जब समोसा भारत में पहली बार आया, तो उसमें न तो आलू भरा गया था और न ही फ्राई किया गया था। तब इसमें मीट डालकर आग पर सेंका गया।
भारत में कैसे आया समोसा
13वीं-14वीं शताब्दी के दौरान भारत में व्यापारी और मुस्लिम आक्रमणकारी मध्य पूर्वी एशिया से आए और उनके साथ समोसा लाए। अमीर खुसरो और इब्न बतूता ने भी समोसे का जिक्र किया है।
दिल्ली सल्तनत के अबुल फजल ने आइन ए अकबरी में इसका नाम शाही पकवानों में डाला। फिर इबने बतूता ने भी समोसे का प्रचार किया। फिर 17वीं शताब्दी में पुर्तगाली ने भारत में आलू लाकर इस तरह के आलू वाले समोसे बनाए। भारत में आने के बाद, इसमें बदलाव आया और आलू, मटर और मसाले भर के समोसे बनाए जाने लगे. आज, ये समोसे देश का एक बड़ा स्नैक बन गए हैं। यह समोसे की कहानी थी, तो अब क्या होगा?अब महफिल को इस तरह सजाओ। आप चाय बनाओ, हम समोसा लाते हैं।