देश के नव-निर्माण व आर्थिक सशक्तिकरण में लघु उद्योगों के योगदान को ध्यान में रखते हुए हर साल 30 अगस्त को National Small Industries Day 2024 मनाया जाता है ।
ये उद्यम न केवल आर्थिक संस्थाएं हैं, बल्कि समाज की रीढ़ हैं, जो विशेष रुप से कामकाजी गरीबों, महिलाओं, युवाओं और कमजोर समुदायों के बीच आजीविका और समावेशी विकास को बढ़ावा देते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, दुनिया भर में एमएसएमई 90% व्यवसायों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 60% से 70 % रोजगार सृजित करते हैं और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 50 % का योगदान देते हैं। भारत में पिछले पांच दशकों में एमएसएमई देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एमएसएमई ने अपेक्षाकृत कम पूंजी लागत पर लाखों नौकरियां सृजित की हैं और कृषि के बाद यह रोजगार सृजन में दूसरे स्थान पर हैं।
बड़े उद्योगों के पूरक के रूप में, एमएसएमई भारत के समावेशी औद्योगिक विकास का अभिन्न अंग बन गए हैं, जो घरेलू और वैश्विक बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए विविध प्रकार के उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस 2024, राष्ट्र की प्रगति में इन उद्योगों के स्थायी योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम की परिभाषा
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के अनुसार, एमएसएमई को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है:
सूक्ष्म उद्यम, जहां संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में एक करोड़ रुपये से अधिक निवेश न हो और कारोबार पांच करोड़ रुपये से अधिक न हो।
एक लघु उद्यम, जहां संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है और कारोबार 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।
मध्यम उद्यम, जहां संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है और कारोबार 250 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।
एमएसएमई की उपलब्धियां
देश की लचर अर्थव्यवस्था के बीच एमएसएमई सेक्टर ने पिछले कुछ वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई द्वारा सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2017-18 में 29.7 %, जो 2018-19 और 2019-20 में बढ़कर 30.5 % हो गया। कोविड-19 महामारी के बावजूद, इस क्षेत्र ने वर्ष 2020-21 में 27.3 % का योगदान बनाए रखा जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 29.6 % और 2022-23 में 30.1 % तक पहुंच गया। ये आंकड़े आर्थिक विकास और स्थिरता को आगे बढ़ाने में इस क्षेत्र की अहम भूमिका को दर्शाते हैं।
एमएसएमई ने 2019-20 में भारत के निर्यात में 49.75% का योगदान दिया, जो 2020-21 में घटकर 49.35 % और 2021-22 में 45.03 % रह गया। साल 2022-23 में यह आंकड़ा घट कर 43.59 % रह गया जो कि वर्ष 2023 -24 में बढ़ कर 45.73% और मई 2024 तक 45.79% हो गया।
एमएसएमई मंत्रालय का बजटीय परिव्यय
*बीई – बजट अनुमान, आरई – संशोधित अनुमान
2024-25 के बजट में एमएसएमई मंत्रालय को 22,137.95 करोड़ रुपये (बीई) का परिव्यय आवंटित किया गया है।
एमएसएमई के लिए सरकारी पहल
भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई मजबूत पहलों को लागू किया है। ये प्रयास वित्तीय सहायता और खरीद नीतियों से लेकर क्षमता निर्माण और बाजार एकीकरण तक हैं। प्रमुख पहलों में उद्यम पंजीकरण पोर्टल, पीएम विश्वकर्मा योजना, पीएमईजीपी, एसएफयूआरटीआई (स्फूर्ति) और एमएसई के लिए सार्वजनिक खरीद नीति शामिल हैं, जिनका उद्देश्य उद्यमिता को बढ़ावा देना, रोजगार बढ़ाना और अनौपचारिक क्षेत्रों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करना है। ये पहल एमएसएमई को समर्थन देने और देश भर में समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
उद्यम पंजीकरण पोर्टल
भारत में उद्यमों के पंजीकरण के लिए 1 जुलाई, 2020 को लॉन्च किया गया ‘उद्यम पंजीकरण पोर्टल’ एक मंच के रूप में कार्य करता है। पोर्टल, उद्योग आधार ज्ञापन और उद्यमिता ज्ञापन-II के तहत पहले से पंजीकृत उद्यमों को इस नई प्रणाली में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस पोर्टल के माध्यम से उद्यमियों को निःशुल्क और कागज रहित पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे दस्तावेज़ अपलोड नहीं करने पड़ते हैं ।
अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक रुप से देश की अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए भारत सरकार ने 11 नवंबर, 2023 को ‘उद्यम सहायता प्लेटफॉर्म’ की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य ऐसे उद्यमों को औपचारिक क्षेत्र के अंतर्गत लाना है, ताकि उन्हें प्राथमिकता क्षेत्र ऋण जैसे लाभ प्राप्त हो सकें, जो उनके विकास और स्थिरता के लिए आवश्यक है।
अभी तक, उद्यम पोर्टल पर कुल 4,91,47,316 पंजीकृत एमएसएमई हैं, जिनमें से अधिकांश को सूक्ष्म उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अपने आर्थिक योगदान के अलावा, इन एमएसएमई ने पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा किए हैं । देश भर में 21.17 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया है जो कि सामाजिक- आर्थिक विकास को बढ़ाने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
पीएम विश्वकर्मा
भारत सरकार द्वारा वर्ष 17 सितंबर, 2023 को ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत की गयी । इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार कर इन्हे अधिकाधिक लोकप्रिय बनाना है । साथ ही उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है । उन्हें घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करना है। पीएम विश्वकर्मा को 2023-24 से 2027-28 तक 13,000 करोड़ रुपये के प्रारंभिक परिव्यय के साथ भारत सरकार द्वारा पूर्णतः वित्त पोषित किया गया है।
23 अगस्त, 2024 तक, पीएम विश्वकर्मा योजना ने महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कर ली हैं, जिसमें 2.34 करोड़ से अधिक आवेदन प्रस्तुत किए गए हैं और 16.19 लाख आवेदन सफलतापूर्वक पंजीकृत किए गए हैं। पंजीकृत आवेदकों को 5-दिवसीय ‘बेसिक ट्रेनिंग’ कार्यक्रम में प्रशिक्षण दिया जाएगा और क्रेडिट सहायता का विकल्प चुनने वालों को जमानत-मुक्त ऋण मिलेगा। ये उपलब्धियाँ देश भर में कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने में योजना की शुरुआती सफलता को दर्शाती है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए ऋण से जुड़ी सब्सिडी योजना है। इस योजना के तहत, नए उद्यम स्थापित करने के लिए बैंकों से ऋण लेने वाले लाभार्थियों को मार्जिन मनी (सब्सिडी) प्रदान की जाती है। नई परियोजना के लिए स्वीकार्य अधिकतम परियोजना लागत विनिर्माण क्षेत्र में 50 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये है।
पीएमईजीपी के तहत सब्सिडी श्रेणी के अनुसार अलग-अलग होती है:
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, महिलाएं, पूर्व सैनिक, ट्रांसजेंडर, दिव्यांग व्यक्ति, पूर्वोत्तर, आकांक्षी जिले और पहाड़ी एवं सीमावर्ती क्षेत्र सहित विशेष श्रेणियां शहरी क्षेत्रों में 25 % और ग्रामीण क्षेत्रों में 35 % सब्सिडी के लिए पात्र हैं।
- सामान्य श्रेणी के आवेदक शहरी क्षेत्रों में 15 % और ग्रामीण क्षेत्रों में 25 % सब्सिडी के लिए पात्र हैं।
उल्लेखनीय है कि आकांक्षी जिलों की ईकाइयों और ट्रांसजेंडरों को विशेष श्रेणी में शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त, पीएमईजीपी ईकाइयों की जियो-टैगिंग शुरू की गई है ताकि इन ईकाइयों के उत्पादों और सेवाओं का विवरण प्राप्त किया जा सके । उनके लिए बाजार संपर्क बनाया जा सके। इसके अलावा, भावी उद्यमियों को 2 दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) के तहत निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि उन्हें सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस किया जा सके।
वर्ष 2023-24 में, पीएमईजीपी ने 22,050 परियोजनाओं की स्थापना में मदद की। 900.23 करोड़ रुपये की कुल सब्सिडी प्रदान की गई , जिससे 1,76,400 लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए। ये उपलब्धियाँ देश भर में उद्यमिता को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन में एमएसएमई के सकारात्मक प्रभावों को दर्शाती हैं ।
पारंपरिक उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए निधि योजना (स्फूर्ति)
पारंपरिक उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए वर्ष 2005-06 में शुरू की गई निधि योजना ‘स्फूर्ति’ (एसएफयूआरटीआई) का उद्देश्य परम्परागत कारीगरों और उद्योगों को क्लस्टर के रुप में संगठित करना, उत्पाद विकास को सुविधाजनक बनाना, विविधीकरण और मूल्य संवर्धन में सहायता करना है। यह योजना पारंपरिक क्षेत्रों को बढ़ावा देती है और कारीगरों की आय को स्थायी रूप से बढ़ाने का प्रयास करती है। वर्ष 2014-15 में ‘स्फूर्ति’ योजना का पुनर्गठन किया गया ताकि अधिक से अधिक पारम्परिक कारीगर इस योजना का लाभ उठा सकें ।
कारीगरों की बाजार अनुरूप प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में सुधार हो, रोजगार के अवसर पैदा हों और उनके उत्पादों की विपणन क्षमता बढ़े। यह योजना कारीगरों को संगठित कर उन्हें सामूहिक संसाधनों और कौशल का लाभ उठाने में मदद करती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होती है ।
उपलब्धियां:
- 2014-15 से अब तक स्फूर्ति के द्वारा 513 क्लस्टरों के गठन को मंजूरी दी गई है।
- इन क्लस्टरों को सहायता देने के लिए कुल 1,336.10 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।
- इस योजना से 2,98,580 कारीगरों को लाभ मिला है, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए सार्वजनिक खरीद नीति
भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय ने 2012 में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए सार्वजनिक खरीद नीति अधिसूचित की थी। इस नीति में यह अनिवार्य किया गया है कि केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों और केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) द्वारा वार्षिक खरीद का 25 % एमएसई से किया जाना चाहिए। इस 25 %में से 4 % अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के स्वामित्व वाले एमएसई के लिए आरक्षित है, और 3 % महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले एमएसई के लिए आरक्षित है। इसके अतिरिक्त, 358 वस्तुएं विशेष रूप से एमएसई से खरीद के लिए आरक्षित हैं।
उपलब्धियां:
- वर्ष 2023-24 में, केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों और सीपीएसई ने एमएसई से कुल 82,431 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की, जो उनकी कुल खरीद का 33.30 % था।
- इस नीति से 2,36,452 एमएसई को लाभ मिला, जिससे उन्हें महत्वपूर्ण व्यावसायिक अवसरों तक पहुंच मिली और सरकारी खरीद के माध्यम से समर्थन मिला।
अन्य उल्लेखनीय पहल
- देश में एमएसएमई को सक्रिय करने पर भारत सरकार के महत्वपूर्ण दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत सरकार ने 1 जून 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन को मंजूरी दी। सरकार ने एमएसएमई वर्गीकरण में संशोधन करते हुए निवेश और वार्षिक कारोबार दोनों के लिए समग्र मानदंड शामिल किए हैं।
- ‘ चैंपियंस’ एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो एमएसएमई की मदद करता है । यह एक आईसीटी आधारित प्रौद्योगिकी प्रणाली है जिसका उद्देश्य छोटी इकाइयों की शिकायतों का समाधान करके, प्रोत्साहित करके, समर्थन देकर, सहायता करके उनको सशक्त बनाना है । यह प्लेटफॉर्म एमएसएमई की सभी जरूरतों के लिए सिंगल-विंडो सलूशन की सुविधा प्रदान करता है।
- सीजीटीएमएसई के माध्यम से 85 % तक गारंटी कवरेज के साथ 500 लाख रुपये तक (1 अप्रैल, 2023 से) जमानत मुक्त ऋण।
- आत्मनिर्भर भारत कोष के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी निवेश, जिसमें भारत सरकार की ओर से 10,000 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।
- 200 करोड़ रुपये तक की खरीद के लिए वैश्विक निविदाओं से छूट।
- 5 वर्षों में 6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एमएसएमई प्रदर्शन को बढ़ाने और तेज करने (आरएएमपी) के लिये कार्यक्रम की शुरूआत।
- उद्यम पोर्टल को राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) के साथ एकीकृत करना, ताकि पंजीकृत एमएसएमई को में सक्षम बनाया जा सके।
- विवाद से विश्वास-I के तहत राहत, जिसमें एमएसएमई के लिए प्रदर्शन सुरक्षा, बोली सुरक्षा और परिसमाप्त क्षति का 95 प्रतिशत रिफंड शामिल है और अनुबंध निष्पादन चूक के कारण वंचित एमएसएमई के लिए राहत।
- 30 अक्टूबर, 2017 से समाधान पोर्टल की शुरुआत की गई, ताकि वस्तु और सेवाओं के खरीदारों से एमएसएमई की बकाया राशि की निगरानी की जा सके।
- राष्ट्रीय एससी-एसटी हब की शुरुआत एससी-एसटी समुदाय को स्वरोज़गार के लिए प्रोत्साहित करने और सार्वजनिक खरीद नीति आदेश, 2018 में उल्लिखित 4 प्रतिशत खरीद लक्ष्य को पूरा करने के लिए की गई है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की आबादी के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, बाजार संपर्क, वित्तीय सुविधा और क्षमता निर्माण आदि की चुनौतियों का सामना करने के लिए कईं पहल की गयी हैं।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस 2024 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा भारत के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान की याद दिलाता है। नवाचार और अनुकूलनशीलता के माध्यम से एमएसएमई ने लगातार लाखों लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवा कर समावेशी विकास को बढ़ावा दिया है और देश के विकास को गति दी है।
उद्यम पंजीकरण से लेकर पीएम विश्वकर्मा योजना तक विभिन्न सरकारी पहल इन उद्यमों को पोषित करने और सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि वे भारत की प्रगति की आधारशिला बने रहें।
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस मनाने के पीछे केंद्र सरकार कि यह भावना निहित है कि एमएसएमई क्षेत्र को समर्थन और मजबूती प्रदान करना जारी रखा जाए । राष्ट्र के समृद्ध और समावेशी भविष्य को आकार देने में इसके महत्व को समझा जाये ।
References:
- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2035073
- https://udyamregistration.gov.in/Government-India/Ministry-MSME-registration.htm
- https://msme.gov.in/
- https://pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=151909&ModuleId=3
- https://dashboard.msme.gov.in/sfurti.aspx
- https://dashboard.msme.gov.in/pmegp.aspx
- https://www.un.org/en/observances/micro-small-medium-businesses-day
- https://msme.gov.in/sites/default/files/FINALMSMEANNUALREPORT2023-24ENGLISH.pdf
- https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/alldg.pdf