Haryana Assembly Election: निर्दलीय ने रोमांचक मुकाबला बनाया, कांग्रेस-BJP फंसी

Haryana Assembly Election: निर्दलीय ने रोमांचक मुकाबला बनाया, कांग्रेस-BJP फंसी

 Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदान करने के लिए एक दिन शेष है। 5 अक्टूबर को मतदान के बाद 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।

  • गुरुग्राम सीट पर इस बार एक कठिन मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस सीट पर एक त्रिकोणीय मुकाबला होगा।

Haryana Assembly Election: इस बार गुरुग्राम विधानसभा सीट पर एक त्रिकोणीय मुकाबला होगा। शत-प्रतिशत इस सीट पर बैठे लोग शहरी हैं। इस बार भाजपा ने ब्राह्मण चेहरे मुकेश शर्मा को चुना है। वहीं, पंजाबी समाज से मोहित ग्रोवर को कांग्रेस ने टिकट दिया है। JJP-ASP ने अशोक जांगड़ा को टिकट दिया है, जबकि BSP-INLD ने गौरव भाटी को टिकट दिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के सदस्य डॉ. निशांत आनंद चुनाव में हैं। गौरव गोयल ने भाजपा से टिकट मांगा था। जो टिकट नहीं मिलने पर चुनाव लड़ रहे हैं कांग्रेस को लाभ मिल सकता है अगर वे वोटरों की सहानुभूति प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि बीजेपी के वोट टूट जाएंगे। कांग्रेस को भी बदला जा सकता है अगर पंजाबी वोट उनकी ओर खिसके।

6 बार जीत चुकी कांग्रेस ने गुरुग्राम सीट पर अब तक 13 चुनाव जीते हैं। 3 बार बीजेपी और 6 बार कांग्रेस ने इस क्षेत्र से जीत हासिल की है। 2014 और 2019 में BJP ने बड़े मार्जिन से जीत हासिल की थी। बीजेपी इस बार एंटी इनकंबेंसी है। गुरुग्राम सीट पर कुल 443593 वोटरों में से लगभग एक लाख पंजाबी हैं। मोहित ग्रोवर ने पिछली बार पंजाबी समाज से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उन्हें लगभग 48  हजार वोट मिले। जाटों ने इस क्षेत्र में चालिस हजार वोट पाए हैं। जो हुड्डा के प्रभाव के दौरान कांग्रेस की ओर बढ़ सकते हैं।

50 से 50 हजार वोट वैश्य और ब्राह्मण समाज में हैं। बीजेपी ने पिछली बार अधिकतर वोट पाए थे। नवीन गोयल के आजाद चुनाव में इस बार विवाद हो सकता है। माना जाता है कि नवीन को जितने अधिक वोट मिलेंगे, उतना अधिक लाभ कांग्रेस को मिलेगा। आज तक गुरुग्राम की सीट पर कोई ब्राह्मण नहीं जीता है। GAIL Sharma बीजेपी से टिकट मांग रहे थे। लेकिन मुकेश शर्मा ने पार्टी का दांव खेला। आज तक गुरुग्राम में चार बार जाट, चार बार पंजाबी और तीन बार वैश्य लोग विधायक बने हैं। पंजाबी समाज भी पिछले तीन चुनावों में निराश हो गया है, हालांकि सबसे अधिक वोटर होने के बावजूद।

उम्मीदवारों के अपने-अपने दावे: 2009 में मुकेश शर्मा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। 2014 में उनके टिकट काट दिए गए थे। बादशाहपुर में निर्दलीय चुनाव लड़ा। लेकिन वे हारे। अब वे बीजेपी के पिछले दस वर्षों में किए गए कामों पर लोगों को बता रहे हैं। गुरुग्राम में फ्लाईओवर और जाम से छुटकारा पाने का वादा कर रहे हैं। पंजाबी समाज मोहित ग्रोवर के पिता स्व. मदनलाल ग्रोवर को मानता है। 2019 में मोहित निर्दलीय चुनाव जीता और 48638 वोटों से दूसरे स्थान पर रहे थे। बाद में दीपेंद्र हुड्डा ने उन्हें कांग्रेस में लाया। अब वे लोगों के बीच जाकर सड़क की खराब हालत का मुद्दा उठा रहे हैं और यहां विकास नहीं होने का मुद्दा उठा रहे हैं। दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस सत्ता में आने के बाद क्षेत्र को विकसित करेंगे।

अपना खुद का संकल्प पत्र आजाद उम्मीदवार नवीन गोयल ने जारी किया है। पत्र में महिलाओं के लिए अस्पतालों में अच्छी सुविधा, खेल स्टेडियम की स्थापना, पार्किंग और सीवरेज की सुविधाओं का दावा किया है। गोयल ने कहा कि वे पिछले दशक से इलाके में सक्रिय हैं। जेजेपी-एएसपी और बीएसपी-इनेलो गठबंधन फाइट में तो नहीं दिख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी दोनों को अधिक वोट मिलेंगे। अब पता चलेगा कि जनता किस उम्मीदवार को समर्थन देती है?

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