Driverless Delhi Metro: दिल्ली में इस रूट पर बिना ड्राइवर ट्रैक पर मेट्रो दौड़ी, कितनी सुरक्षित है; क्या-क्या लाभ

Driverless Delhi Metro: दिल्ली में इस रूट पर बिना ड्राइवर ट्रैक पर मेट्रो दौड़ी, कितनी सुरक्षित है; क्या-क्या लाभ

Driverless Delhi Metro: जुलाई से दिल्ली मेट्रो ने इस लाइन पर चालक रहित और बगैर मानव हस्तक्षेप के परिचालन शुरू किया है। इसके साथ ही दिल्ली देश का पहला शहर बन गया है।

Driverless Delhi Metro: सोमवार से दिल्ली मेट्रो ने मजेंटा लाइन (जनकपुरी पश्चिम से बॉटेनिकल गार्डन नोएडा) के बीच चालक रहित और बगैर मानव हस्तक्षेप के परिचालन शुरू किया। इससे दिल्ली देश का पहला शहर बन गया। इसके अलावा, दुनिया के सात प्रतिशत मेट्रो नेटवर्क कुलीन (एलिट) वर्ग के हैं। मेट्रो प्रबंधन ने कहा कि जरूरत पड़ने पर इस कॉरिडोर पर 90 सेकंड के अंतराल पर ट्रेन चलाया जा सकता है।

मजेंटा लाइन दिल्ली मेट्रो का पहला कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) सिग्नलिंग सिस्टम वाला कॉरिडोर है। 37 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर को दिसंबर 2020 में चलाया गया था। विभिन्न चरणों में परीक्षण करने के बाद, एक जुलाई 2024 से पूरी तरह से चालक रहित मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ। मजेंटा और पिंक लाइन नामक दो कॉरीडोर, जो मेट्रो फेज तीन में 97 किलोमीटर लंबे हैं, चालक रहित तकनीकी का प्रयोग किया गया है। 60 किलोमीटर (मजलिस पार्क से मौजपुर) पिंक लाइन को अगले चरण में चलाया जाएगा।

आपातकालीन स्थिति में सीधे ओसीसी से जुड़ सकेंगे

हर कोच में कुल चार कैमरे लगाए गए हैं। केंद्रीय नियंत्रण कक्ष (ओसीसी) में इनसे अंदर की लाइव फुटेज देख सकते हैं। यात्री कोई परेशानी होने पर अलार्म बटन दबा सकता है। ओसीसी को इसके बाद सूचना मिलेगी। ट्रैक के पीछे सेंसर्स हैं, जिससे ओसीसी में बैठकर ट्रैक की निगरानी की जा सकेगी।

चालकों के केबिन हटाए गए

Magenta Line पर बीस स्टेशन हैं। इसमें छह कोच हैं और 29 ट्रेन सेट चलते हैं। टायल के बाद सभी चालक रहित हो गए हैं। पहले चरण में चालक का उपयोग किया गया था। दूसरे में चालक सिर्फ इमरजेंसी के लिए दरवाजे खोलने और बंद करने के लिए था। तीसरे में एकमात्र चालक था और सारा काम स्वचालित था। ट्रायल सफल होने पर चालकों के केबिन हटाए गए।

ये लाभ होंगे

  • परिचालन के बाद मेट्रो ट्रेन डिपो में अपने आप स्टेबलिंग लाइन पर खड़ी हो जाएंगी।
  • सुबह ट्रेनों को चलाने से पहले मैन्युल जांच की आवश्यकता नहीं होगी।
  • जरूरतों पर फ्रीक्वेंसी बढ़ा सकते हैं
  • नई तकनीक में ट्रेनों का टकराव नहीं होगा, मेट्रो स्वयं ब्रेक लगाएंगी

कैसा रहा अनुभव?

सैम शर्मा ने कहा” मैं हौजखास से बॉटेनिकल गार्डन जा रहा था और मेट्रो के डिब्बे में सबसे पीछे था। पहले मुझे लगा कि मेट्रो में कुछ समस्याएं हैं। फिर पता चला कि इसमें चालक ही नहीं है। अनुभव शानदार था।’

प्रतिज्ञा काकराण ने कहा, “काफी दिन पहले अखबार में पढ़ा था कि मेट्रो बिना ड्राइवर के चलेगी।” आज महिला कोच ने अपनी आंखों से देखा। मेट्रो से मैं कालकाजी जा रही थी। हमें अपनी दिल्ली मेट्रो पर गर्व है।’

दुनिया के पांच बड़े नेटवर्क
देश चालकरहित नेटवर्क
(किलोमीटर)

सिंगापुर 199
शंघाई 101.8
क्वालालंपूर 97.4
दिल्ली मेट्रो 96.8
दुबई मेट्रो 89.6

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