एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी इलेक्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने DELHI के LG को नोटिस जारी किया है।
- कोर्ट ने दो हफ्ते का समय देने की मांग की है। कोर्ट ने बताया कि आपने किस अधिकार के तहत दखल दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने DELHI के LG ऑफिस को एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के छठे सदस्य के चुनाव को लेकर नोटिस भेजा। कोर्ट ने दो हफ्ते का समय देने की मांग की है। शैली ओबरॉय ने चुनाव प्रक्रिया में एलजी के दखल को असंवैधानिक बताया और डीएमसी कानून का उल्लंघन बताया।
कोर्ट ने DELHI के LG ऑफिस को नोटिस जारी करके इस मामले में LG की भागीदारी पर आपत्ति व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला राजनीतिक है। स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव में मेयर का योगदान होता है। इसलिए एलजी ने इसमें किस अधिकार का इस्तेमाल किया SC ने LG कार्यालय को बताया कि वह MCD स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन के चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करे। यदि एलजी ऐसा करते हैं, तो कोर्ट इसे बहुत गंभीरता से लेगा।
चुनाव करने की इतनी जल्दी क्यों हुई?
कोर्ट ने डीएमसी अधिनियम की धारा 487 का उपयोग करने पर भी सवाल उठाया और पूछा कि एमसीडी मेयर की अनुपस्थिति में चुनाव कराने में इतनी जल्दबाजी क्यों हुई? अदालत ने निर्णय दिया कि धारा 487 कार्यकारी है। विधायी कार्यों में हस्तक्षेप करना इसका लक्ष्य नहीं है। लोकतंत्र का क्या होगा अगर ऐसा हस्तक्षेप होगा?
मामले को न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर महादेवन ने सुनाया। दिल्ली नगर निगम की मेयर शैली ओबेराय की याचिका को कोर्ट ने सुनवाई की। याद रखें कि एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी के छठे सदस्य के लिए 27 सितंबर को चुनाव हुए। जो बीजेपी ने जीता था।
मेयर ने धारा 128 की अवज्ञा की
उपराज्यपाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने कहा कि मेयर ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 128 का उल्लंघन किया है। पीठ ने कहा कि मेयर के व्यवहार को लेकर उनके मन में कुछ संदेह हैं, लेकिन इससे एलजी के कार्यों की जांच नहीं होगी।
दिल्ली के महापौर ने याचिका दायर कर कहा कि उपराज्यपाल ने स्थायी समिति का चुनाव कराया था और इसके लिए एक बैठक निगम आयुक्त ने बुलाई थी। उनका कहना था कि एमसीडी की बैठक मेयर ही बुला सकता है। इतना ही नहीं, मेयर को बैठक की तिथि, समय और स्थान निर्धारित करने का अधिकार भी है।